आज कुछ ख़ास है नही लिखने को. किंतु कुछ पंक्तियाँ मन में प्रस्फुटित हुई हैं-
दे दूँ पंख अपने विचारों को,
उड़ने दूँ इन्हें अपने मन के आकाश में,
मन मंथन करके कुछ चमकते मोती चुन लाऊं
फैलाए जो ज्ञान की रोशनी,
एक ऐसा दीपक जलाऊं...
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