आज बैठे बैठे विचार कर रहा था की क्यों हम लोग कल की इतनी चिंता क्यों करते हैं ? हम में से किसी ने भी कल नहीं देखा है, तदापि हम इश्वर के दिए आज को छोड़ कर कल कि चिंता में डूबे रहते हैं! हम उस वस्तु को पकड़ने कि कोशिश करते हैं जिसे हम कभी चाह कर भी नहीं पकड़ सकते! इसे आश्चर्य किन्तु सत्य कहते है. कल तो बहुत बड़ी बात है हमे तो यह भी पता नहीं होता कि अगले क्षण क्या होने वाला है.
आज अपने मानस पटल पे यही पंक्तियाँ छाप रहा था ताकि मुझे कल कि चिंता न हो -
मेरे मन क्यों होवे है बावरा
जब साथ में है, हाथ में मुरली लिए सावरा
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